किसान आंदोलन में सुर्खियों में आए दीप सिद्धू


आंदोलन में हिस्सा.........

 सबसे पहले तो सिद्धू किसान हित में सबके सामने आए, लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने किसान नेताओ की फैसलों पर सवाल उठाने शुरू कर दिए। उन्होंने किसानो से हटकर अपना एक अलग संगठन बना लिया। 

उनके अधिकांस भाषण किसान हित्त में या उनसे संबंधित होने की बजाए राजनीती और भारत के संविधान को लेकर होते थे। उनके इन्ही बयान और भाषण की वजह से किसानों ने अपने आप को उनसे अलग कर लिया।


लाल किले का मामला.........

किसानों के खिलाफ बोलने और उनसे हटके भाषण देने की बजह से उगराहां ग्रुप ने उन पर किसानों के आंदोलन की दिशा बदलने का आरोप लगाया।  उन्होंने मंच पर भाषण देने से भी रोक दिया गया। इसी कारण वहा तनातनी का माहौल बन गया। अब किसान और दीप सिद्धू के दो अलग अलग ग्रुप बन गए थे। 


दीप सिद्धू तो उस वक़्त ज्यादा सुर्खियों में आए जब उन्होंने लाल किले पर 26 जनवरी के दिन झंडा फहराया और उसे किसान एकता का प्रतीक बताया। 

मामला यह है की जब 26 जनवरी को ट्रेक्टर परेड होनी थी तो सिद्धू ने अपने ग्रुप को किसानों से अलग क्र लिया और लाल किले पर चढ़ गए। वह पहुंचने के बाद उन्होंने किले पर निशान साहिब और किसान के हरे पिले झंडे फहराकर किसान एकता को बढ़ावा देने के लिए नारेबाजी की। 


मामले के बाद सिद्धू का स्पस्टीकरण.........


लाल किले की घटना के बाद रात को ही सिद्धू ने फेसबुक लाइव की जरिये अपना स्पस्टीकरण किया और कहा की हमने किसी हिंसा को बढ़ावा देने का कार्य नहीं किया और न ही हमारे संघठन ने कोई झंडा उतरा। हमने बस किसान एकता को सुदृढ़ करने के लिए किसानो के हरे पिले झंडे और निशान साहिब का झंडा फहराया था। इसके बाद सिद्धू को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। 

 

 

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