1996 का चारा घोटाला देश के सबसे बड़े घोटालों में से एक है, और इस पर अभी तक कार्यवाही चल रही है, जिसका फैसला 2022 में हुआ और दोषी को मिली सजा.....
आज हम बात करेंगे इन विषयों पर:-
क्या है चारा घोटाला??
कब हुआ यह घोटाला??
कितने का हुआ था घोटाला??
कौन कौन था घोटाले में शामिल??
कब कब हुई इस पर कार्यवाही??
इस केस से जुड़े मुख्य पहलु??
आपको बता दें की सन्न 1996 में भारत में बहोत बड़े पैमाने पर घोटाल हुआ था, जिसे चारा घोटाला के नाम से जाना जाता है।
क्या है चारा घोटाला??
पशुओं को चारा देने के नाम पर, उनकी दवाईयों के नाम पर सरकारी ख़ज़ाने से 950 करोड़ की धनराशि निकाल ली गई। इस राशि का प्रयोग जहाँ करना था वहाँ न करके अधिकारीयों और कर्मचारियों ने अपनी जेब भर ली। जब पशुपालन विभाग में चाईबासा के उपायुक्त अमित खरे ने छापेमारी की तो यह घोटाला सामने आया।
कब हुआ यह घोटाला??
अगर हम बात करें घोटाले के घटित होने के समय की तो यह मामला 1996 में प्रकाश में आया था। उसके बाद से ही इस केस की कार्यवाही चल रही है।
कितने का हुआ था घोटाला??
इस घोटाले की कुल कीमत 950 करोड़ रूपए आंकी गई है जिसमे अलग अलग कोषागारों का प्रयोग किया गया था।
कौन कौन था घोटाले में शामिल??
अगर बात की जाए इस घोटाले में शामिल होने आरोपियों की तो आपको बता दें की बड़े दिग्गज नेता और खूब बड़े बड़े अधिकारी भी शामिल थे। बता दें की इस मामलें में कुल 175 लोगों पर कार्यवाही के आदेश थे। जिनमे से 55 लोगों की मौत हो चुकी है 7 सरकारी गवाह बन चुके है और 2 ने अपने ऊपर लगे आरोपों को स्वीकार कर लिया और 6 आरोपी फरार हैं। बड़े बड़े नेताओं की लिस्ट में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू पार्षद यादव, पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, तत्कालीन लोक लेखा समिति के अध्यक्ष ध्रुव भगत, पशुपालन सचिव बेक जुलिअस,पशुपालन निदेशक डॉ के एम प्रसाद शामिल हैं।
कब कब हुई इस केस पर कार्यवाही??
जनवरी 1996: छापेमारी की और घोटाला आया सामने
मार्च 1996: उच्च न्यायलय ने सीबीआई को दिए जांच के आदेश
जून 1997: सीबीआई द्वारा पहली बार लालू को आरोपी बताया गया
जुलाई 1997: मुख्यमंत्री पद से दिया इस्तीफा(लालू यादव ने), अपनी पत्नी राबड़ी देवी को राज्य की मुख्यमंत्री बनाकर राजनीती अपने हाथ में ही रखी
अक्टूबर 2001: मामला झारखण्ड उच्च न्यायलय में पहुंचा(नया राज्य झारखण्ड बनने पर)
फरवरी 2002: सीबीआई अदालत ने चारा घोटाला मामले में सुनवाई शुरू कर दी
सितम्बर 2013: पहली बार लालूको पांच साल की सजा सुनाई, उन्हें लोकसभा सदस्यता से अयोग्य घोसित कर दिया,चाईबासा कोषागार मामले में 37.70 करोड़ की अवैध निकासी पर हुई सजा, परन्तु उसी साल सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी
दिसम्बर 2017: सीबीआई अदालत ने देवघर कोषागार से 89.27 लाख रूपए की निकासी पर दूसरे घोटाले में दोषी ठहराया गया, उन्हें 3.5 साल की सजा सुनाई गई लेकिन आधी सजा पूरी उन्हें जमानत दे दी गई
जनवरी 2018: 33.13 करोड़ रूपए की अवैध निकासी के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री को तीसरी सजा मिली जो पांच साल के लिए थी
मार्च 2018: सीबीआई की विशेष अदालत ने पार्षद को दिसम्बर 1995 से जनवरी 1996 तक दुमका किसागर से धोखाधड़ी से 3.76 करोड़ रूपए की निकासी से सम्बंधित घोटाला मामले में साज़िश और भ्र्ष्टाचार के आरोप के तहत दोषी ठहराया था। उन्हें जेल की सजा के साथ 60 लाख का जुर्माना भी भरने को कहा गया।
अप्रैल 2021: झारखण्ड उच्च न्यायालय ने लालू को जमानत दे दी
फरवरी 2022: डोरंडा केस के तहत लालू को 5 साल की सजा और 60 लाख का जुर्माना लगाया गया
इस केस से जुड़े मुख्य पहलु??
- यह केस 1996 से चल रहा है
- इस केस को अमित खरे की छापेमारी में सिद्ध हुए घोटाले के बाद शुरू किया गया था
- इस केस में बड़े नेताओं से लेकर प्रतिष्ठित अधिकारी भी शामिल है
- इस केस में कुल 170 आरोपी थे जिनमे से 55 की मौत हो चुकी है, सात सरकारी गवाह बन चुके है और दो ने अपने ऊपर लगे आरोपों को स्वीकार कर लिया, और छह अभी तक फरार हैं
- घोटाले की रकम 950 करोड़ रूपए आंकी गई है
बहुत बढ़िया जानकारी
ReplyDeleteइस घोटाले से अवगत कराने के लिए धन्यवाद।
Thnks for your motivation
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